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सहकारिता में भरे जाएंगे 3000 पद, पर खजाना नहीं होगा खाली, 'बचत' से जुगाड़ेंगे 120 करोड़ सालाना


 बलौदाबाजार रायपुर ..  छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक राज्य के सहकारिता क्षेत्र में पहली बार तीन हजार पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। खास बात ये है कि इतनी अधिक संख्या में भर्ती करने के बाद भी राज्य सरकार के खजाने से कोई राशि खर्च नहीं होगी। भर्तियों के संबंध में सहकारिता विभाग ने एक बैठक में इस संबंध में सरकार के समक्ष पूरी योजना का खाका पेश किया है। इसके तहत त्रिस्तरीय सहकारी सेक्टर के लिए नए सर्विस नियम बनाए जाएंगे और सेटअप रिवाइज किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक राज्य के सहकारिता क्षेत्र में पहली बार तीन हजार पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। खास बात ये है कि इतनी अधिक संख्या में भर्ती करने के बाद भी राज्य सरकार के खजाने से कोई राशि खर्च नहीं होगी। भर्तियों के संबंध में सहकारिता विभाग ने एक बैठक में इस संबंध में सरकार के समक्ष पूरी योजना का खाका पेश किया है। इसके तहत त्रिस्तरीय सहकारी सेक्टर के लिए नए सर्विस नियम बनाए जाएंगे और सेटअप रिवाइज किया जाएगा। इसलिए जरूरत है भर्ती की छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के बाद से लेकर अब सहकारिता क्षेत्र में संगठित तरीके से भर्ती कभी नहीं हो पाई है। राज्य बनने के पहले मप्र सरकार के समय जो अधिकारी-कर्मचारी काम करते थे, वे धीरे-धीरे रिटायर होकर सेवा से बाहर हो गए। अब हालत ये है कि हजारों पद खाली हैं। यही वजह है कि सहकारिता संबंधी कामकाज जो नियमित रूप से होने चाहिए, वे नहीं हो रहे हैं। इस कमी से राज्य में सहकारिता का ढांचा चरमराता जा रहा ।
व्यापम के माध्यम से होगी भर्ती बताया गया है कि सहकारिता क्षेत्र में तीन हजार पदों के लिए भर्तियां व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के माध्यम से होंगी। सबसे अधिक 1700 पद समिति प्रबंधक के हैं। इसके साथ ही 2 हजार 58 सोसायटियों में हर पांच समितियों पर सुपरवाइजर का एक पद होगा। जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में सीईओ के 5 तथा एडिशनल सीईओ के 5 पदों पर भर्ती होगी। इन पदों के लिए अपेक्स बैंक के अधिकारी लिए जाएंगे। इनके स्थान पर उनके नए पदों पर भर्ती की जाएगी। दो हजार से अधिक सोसायटियों में 259 प्रबंधक सहकारिता का जमीनी आधार मानी जाने वाली सोसायटियों की संख्या राज्य में 2 हजार 58 हैं, लेकिन राज्य में केवल 259 सोसायटियों में प्रबंधक के रूप में सहकारी बैंकों के कर्मचारी काम कर रहे हैं। बाकी सभी स्थानों पर प्रभारी प्रबंधक के रूप में ऐसेे लोग काम कर रहे हैं, जिनका मूल काम सोसायटियों में धान तौलने का है। एक जिले का हाल तो ये है कि 90 सोसायटियों में केवल 4 में ही प्रबंधक है

सरकार के खजाने पर नहीं आएगा भार खास बात ये है कि तीन हजार पदों पर भर्ती के बाद राज्य सरकार के खजाने पर कोई वित्तीय भार नहीं आएगा। बताया गया है कि तीन हजार पदों पर भर्ती के बाद सालाना स्थापना व्यय 120 करोड़ रुपए आएगा। यह राशि जुटाने का भी इंतजाम है। दरअसल राज्य के धान खरीदी के लिए प्रासंगिक व्यय के रूप में मिलने वाले 100 करोड़ रुपए हर साल लैप्स हो रहे हैं। इसे बचाया जाएगा। राज्य को प्रति क्विंटल धान पर 32 रुपए कमीशन मिलता है। यही नहीं, मंडी लेबर चार्ज जो अभी केंद्र से प्रति क्विंटल 18 रुपए मिल रहा है,उसे बढ़ाकर 24 रुपए किया जाएगा। इतना मंडी लेबर चार्ज पंजाब व अन्य राज्यों को केंद्र देता है। इसके साथ ही खाद के परिवहन से हर साल 40 से 50 करोड़ रुपए घाटा हो रहा है। परिवहन व्यवस्था को बदलकर यह घाटा समाप्त किया जाएगा। भर्ती के लिए प्रक्रिया जारी सहकारिता क्षेत्र में तीन हजार पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया चल रही है। यह काम सहकारिता क्षेत्र के लिए बनाई गई एक कमेटी कर रही है। दरअसल राज्य में सहकारिता क्षेत्र में अब तक संगठित भर्ती लंबे समय से नहीं हो पाई है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद भर्तियां की जाएंगी। -

 हिमशिखर गुप्ता, पंजीयक सहकारी संस्थाएं, छग


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