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आषाढ़ के बाद सावन की भी सूखी कम हुई बारिश गांवों में सूखे की आहट,


   

सूखे की दहलीज पर छत्तीसगढ़, फसलों को लेकर किसान चिंता में   मानसून की शुरुआत के बाद राज्‍य के आधे से अधिक जिलों में पर्याप्‍त बारिश नहीं होने से चिंता का वातावरण है।

आषाढ़ के बाद सावन की भी सूखी एंट्री: 60% कम हुई बारिश  ,गांवों में सूखे की आहट, । जिले में आषाढ़ के बाद सावन की सूखी एंट्री से सुकाल की उम्मीदें टूटती नजर आ रही हैं। दस्तक देकर रूठे मानसून का इंतजार..

.जिले में आषाढ़ के बाद सावन की सूखी एंट्री से सुकाल की उम्मीदें टूटती नजर आ रही हैं। दस्तक देकर रूठे मानसून का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा है। जिले के गांवों में सूखे की आहट से ही घबराहट का माहौल बना है। अब तक सिर्फ 45 एमएम बारिश हुई है, जो सामान्य से 60 फीसदी कम है। मानसून की पहली बारिश के बाद 10 फीसदी हिस्से में खरीफ फसलों की बुआई की गई, लेकिन धूल भरी आंधियों के कारण अंकुरित होने से पहले ही फसलें जमींदोज हो गईं। आंधी रुकने के बाद बादल भी छाए हैं और सूरज भी तेज बरसा रहा है। अधिकतम तापमान 38.8 और न्यूनतम 28.4 डिग्री के साथ गर्मी भी असर दिखा रही है। किसान जहां रोपाई व बियासी के लिए इंद्रदेवता की मेहरबानी का इंतजार कर रहे हैं, वहीं शहर में भी लोग गर्मी एवं उमस से राहत पाने को तरस रहे हैं। गौरतलब है कि  बीते महीने से लगातार सूखे की मार झेल रहा है। इस बार अच्छे जमाने की आस लगाए बैठे जिले के  किसानों को अभी तक निराश ही हैं। जिले के 50 फीसदी गांव चारे-पानी के संकट से जूझ रहे ।



छत्तीसगढ़ के आधे से अधिक जिले सूखे की दहलीज पर खड़े हैं। किसान फसल की चिंता में बेचैन हैं। सरकार भी चिंतित है। दावा है कि सूखे से निपटने के भरपूर इंतजाम हैं। किसान को धरातल पर अभी राहत के उतरने की उम्मीद है। राज्‍य के 17 जिले में 21 फीसद से कम बारिश हुई है जबकि अभी मानसून काल ढाई माह और है।

आसमान में आते बादलों पर टकटकी और सरकारी मदद की राह निहार रहे किसान जैसे तैसे बोई फसल बचाने में जुटे हैं। तमाम किसानों की तो खेती ही पिछड़ गई है। धान के सीजन में पानी की सर्वाधिक मांग रहती है। मौसम की बेरुखी ने धान की खेती पर संकट खड़ा कर दिया है। कुछ भारी बारिश तो कहीं महज बारिश की औपचारिकता ने खेती-किसानी के अर्थशाा को बिगाड़ दिया है।

बारिश के आंकड़े जिले वार अब तक

औसत से अधिक बारिश

धमतरी 12,   

गरियाबंद 03, 

कोंडागांव 43, 

नारायणपुर 03, 

सुकमा 00 (नोट- सात दिन पहले इन सभी जिलों में औसत बरसात दोगुने से अधिक थी। बारिश न होने से आंकड़े गिर गए।

औसत से कम हुई है बारिश

बालोद 32, 

बलौदाबाजार 43, 

बलरामपुर 28, 

बेमेतरा 48, 

बीजापुर 02, 

बिलासपुर 22, 

दंतेवाडा 10, 

दुर्ग 39, 

जांजगीर 31, 

जशपुर 43,

 कबीरधाम 33, 

कांकेर 20, 

राजनांदगांव 44,

 कोरिया 25, 

महासमुंद 08, 

मुंगेली 39, 

रायगढ़ 44, 

रायपुर 41, 

सूरजपुर 16,

 सरगुजा 57

(आंकडे मिमी में)

बीते तीन सालों में मानसूनी बारिश 

2015- 1136.4 मिमी (मानसून- 1028.6, पोस्ट मानसून- 70.8)

2016- 1315.8 मिमी (मानसून- 1177.9, पोस्ट मानसून- 79.8)

2017- 1124.4 मिमी (मानसून- 1124.4, पोस्ट मानसून- 61.8)

2018- 1110.8 मिमी (मानसून- 1050.2 मिमी के करीब)

सीधा असर 

  • बांधों में कम पानी तो बारिश के बाद आठ महीने पेयजल आपूर्ति में होगी बड़ी परेशानी
  • खेतों में पानी नहीं तो खेती कैसे होगी, बोए हुए बीज खराब हो जाएंगी। महंगाई बढ़ेगी
  • गर्मी से राहत के लिए एसी, पंखा, कूलर चल रहे हैं, बिजली की खपत लगाकर बनी है
  • प्रदेश में औसत बारिश के आंकड़े हैं 1100 मिमी, पूर्वानुमान से अभी तक बारिश के आंकड़े बेहतर नहीं... चिंता सब ओर।

मानसून ब्रेक ने बिगाड़ा खेल

प्रदेश में मानसून की दस्तक 10 जून तक हो जानी थी, मगर इस साल मानसून 21 जून को पहुंचा। जून में एक ही सिस्टम बन सका। जुलाई की शुरुआत अच्छी हुई मगर बीचे में मानसून ब्रेक हो गया। राज्य को दोहरी मार का सामना करना पड़ा है। 

मौसम विभाग ने 17-18-19 जुलाई को एक मजबूत सिस्टम के बनने से अच्छी बारिश का पूर्वानुमान जारी किया था, मगर यह भी मध्य-भारत के राज्यों ओडिशा, छत्तीसगढ़, विदर्भ और मध्यप्रदेश से दूर हो गया। यही वजह है कि अब तक प्रदेश में 319 मिमी ही बारिश हुई है, जबकि यह आंकड़े 400 पार हो जाने चाहिए थे। किसान से लेकर सरकार तक इसलिए चिंतित दिखाई दे रहे हैं क्योंकि खेत सूखे पड़े हैं।

आम लोग इसलिए क्योंकि गर्मी पड़ रही है, इसलिए भी क्योंकि अगर फसल समय पर नहीं हुई तो महंगाई रूलाएगी। प्रदेश में मानसून के चार महीनों में औसत बारिश के आंकड़े ही 1100 हैं, यहां तक इस साल पहुंचना मुश्किल दिखाई दे रहा है।

आंकड़े गवाह हैं कि प्रदेश के 27 में से 17 जिलों में औसत से कम बारिश है। जुलाई में चार सिस्टम बनते हैं, मगर बने दो वे भी उतनी ज्यादा बारिश लेकर नहीं आए। वहीं दूसरी तरफ मैदानी इलाकों में सर्वाधिक सूखे जैसी स्थिति है। गुरूवार को रायपुर समेत कई जिलों में हल्की बारिश हुई। शुक्रवार की सुबह से ही राजधानी रायपुर में बादल छाए रहे।

इनका कहना है

मानसून ब्रेक के कारण स्थिति बिगड़ती थी, दूसरा हम मौजूदा सिस्टम से जितनी बारिश की अपेक्षा कर रहे थे उतनी हुई नहीं। हालांकि अभी लंबा वक्त है, हजार मिमी तक तो आंकड़े पहुंचने चाहिए। अभी जुलाई में ही एकाध और सिस्टम बन सकता है।

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