Vat Savitri Vrat 2019 : महिलाओं के अखण्ड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री /
बरग़दायी 03 जून सोमवार को ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन मनाया
जाएगा ।
इस बार वट सावित्री व्रत के दिन सोमवती अमावस्या, सर्वार्थसिद्ध योग है जो कि काफी शुभकारी है। माना जाता है कि इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ। इसलिए इस दिन वट और पीपल की पूजा कर शनिदेव को प्रसन्न किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करने से परम सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
शक्ति ज्योतिष केन्द्र के पण्डित शक्ति धर त्रिपाठी के अनुसार व्रत का शुभ समय सूर्योदय के पूर्व से ही प्रारम्भ हो जाएगा और दिन के 03:30 तक रहेगा ।
अमावस्या और पूर्णिमा पर होता है वट सावित्री व्रत
क्या है मान्यता
वट सावित्री के व्रत के दिन बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पतिव्रत से पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। दूसरी कथा के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा से घर में सुख-शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है। वट वृक्ष रोग नाशक भी है। वट का दूध कई बीमारियों से हमारी रक्षा करता है।
इस बार वट सावित्री व्रत के दिन सोमवती अमावस्या, सर्वार्थसिद्ध योग है जो कि काफी शुभकारी है। माना जाता है कि इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ। इसलिए इस दिन वट और पीपल की पूजा कर शनिदेव को प्रसन्न किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करने से परम सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
शक्ति ज्योतिष केन्द्र के पण्डित शक्ति धर त्रिपाठी के अनुसार व्रत का शुभ समय सूर्योदय के पूर्व से ही प्रारम्भ हो जाएगा और दिन के 03:30 तक रहेगा ।
अमावस्या और पूर्णिमा पर होता है वट सावित्री व्रत
क्या है मान्यता
वट सावित्री के व्रत के दिन बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पतिव्रत से पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। दूसरी कथा के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा से घर में सुख-शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है। वट वृक्ष रोग नाशक भी है। वट का दूध कई बीमारियों से हमारी रक्षा करता है।
0 Comments